सरप्राइज गिफ्ट

#कहानी

कैब से उतरकर शिथिल कदमों से अपने आप को घसीटते हुए अनिला किसी तरह अपने फ्लैट का ताला खोल अंदर आकर निढाल हो वहीं ड्राइंगरुम में सोफे पर ही लेट गई । वह बहुत बेचैनी से अपनी बेटी आरुषि का इंतजार करने‌ लगी। आज कालेज में भी उसका मन नहीं लग रहा था ।

आरुषि उसकी इकलौती बेटी थी। वह बी.एससी फर्स्ट ईयर में थी । अनिला को अपनी बेटी पर बहुत विश्वास था, उसे गर्व था कि उसकी बेटी उससे कुछ भी नहीं छिपाती पर आज उसका विश्वास टूट गया था। आज कालेज जाते समय उसने आरुषि को किसी के साथ कैब में बैठते देखा था। उसने पहले भी कई लोगों के मुंह से सुना था कि आरुषि किसी के साथ अक्सर मॉल‌ वगैरह में घूमती मिली है पर उसने भरोसा नहीं किया था पर आज... कई दिन से वह भी अरु में बदलाव तो देख रहीं थीं ... बातें करते करते अचानक चुप हो जाना, हर समय कुछ सोचते रहना। कुछ दिनों से वह कालेज से भी लेट आ रही थी पूछने पर कोई न कोई बहाना बना देती। वह भी उसकी बात का विश्वास कर लेतीं थीं।

सोचते-सोचते उसने घड़ी पर निगाह डाली,

"अरे सात बज गए महारानी का अब तक कोई पता नहीं है।"

तभी कॉलबेल बजी, दरवाज़ा खोलते ही अरु मुस्कराते हुए उनके गले लग गई ।

"सॉरी मम्मी बहुत लेट हो गई ,रुचि के साथ बातों में समय का कुछ पता ही नहीं चला।"

अनिला चुपचाप उसे एकटक देखती रही।

"प्रॉमिस मम्मी कल से बिल्कुल समय पर आया करुंगी, अब गुस्सा थूक दो ना?" वह अपने कान पकड़ते हुए बोली ।

खाना खाते हुए दोनों बातें भी करतीं जा रहीं थी, खाना खाकर अनिला बर्तन उठा‌ किचन में आ गयी।

"मम्मा कल मुझे जल्दी कालेज जाना है" ,तभी अरु की आवाज आई ।

"क्यों ?क्या है कल?", अनिला कमरे में आते हुए बोली ।

"मम्मा भूल गयीं ? कल वेलेंटाइन डे है" अरु चहकते हुए बोली।

"ओह मैं तो भूल ही गयी थी।" कल का दिन याद कर उसका मन बहुत उदास हो गया। इस दिन के साथ मिलन के सुख के साथ बिछोह का दुःख भी जुड़ा हुआ था। वह अरु को प्यार कर अपने रुम में आ गयी। उसका मन बहुत उदास हो गया। आज वह रिषी को बहुत मिस कर रही थी। आंसूओं से उसका चेहरा भीगने लगा ।वह रोते रोते कब सो गई पता ही नहीं चला ।

सुबह उसके उठने से पहले ही आरुषि कालेज के लिए तैयार हो गई थी। अनिला भी जल्दी जल्दी अपना काम खत्म कर कालेज के लिए तैयार होने लगी। बाहर आरुषि धीमी आवाज़ में किसी से बात कर रही थी,

"तीन बजे घर में ही मिलूंगी,.. नहीं मम्मा तो पांच से पहले नहीं आतीं..ओके मैं इंतजार करुंगी,बाय"।

"मम्मी मैं जा रही हूं"|

जब तक अनिला कुछ पूछती वह तेजी से बाहर निकल गई।

"ओह तो अब मेरी गैरहाजिरी में किसी को मिलने के लिए घर बुलाया जा रहा है। ठीक है बेटा आज मैं भी समय से पहले आकर तेरी चोरी न पकड़ू तो कहना",

वह गुस्से में अपने आपसे बुदबुदाते हुए बोली ।

शाम को कालेज से जल्दी आकर वह घर से कुछ दूर पहले ही आटो से उतर गई। घंटी बजाते ही तुरंत दरवाजा खुल गया।

"हैपी वेलेंटाइन डे मम्मी", अरु उसके गले में बाहें डालते हुए बोली।

"ये क्या बदतमीजी है अरु ,तुझे पता है ना कि मै आज के दिन..", अनिला उसे अपने से अलग करते हुए क्रोध से बोली और अंदर अपने कमरे की ओर बढ़ गई । उसका मन अचानक बहुत उदास हो गया, वह समझ गई थी कि उसकी बेटी अब सिर्फ उसकी नहीं रही वरना वो ये बात कैसे भूल गयी कि आज के दिन ही उसके पापा...

"ठीक भी है बच्ची ही तो है वो कब तक अपने मन को मारेगी, आठ वर्ष से तो मेरे हर सुख-दुख में बराबर मेरे साथ खड़ी रही है, मुझे भी अपना अतीत भूलकर उसकी खुशी में शामिल होना चाहिए"।

अनिला अपने मन को समझाकर बाहर आ गई।

"चलो उस महापुरुष से मिल लूं जिसने मेरी बेटी मुझसे छीन ली", वह अपने आपसे बातें करते हुए ड्राइंगरुम की ओर बढ़ गई।

"अरे मम्मा एक मिनट, मैं आपको किसी खास व्यक्ति से मिलवाना चाहती हूं"

''हां हां बाबा समझ गई,अब अंदर तो जाने दे," उसकी बात काटते हुए वह मुस्कराकर बोलीं ।

"ऐसे नहीं आपको अपनी आंखें बंद कर मेरे साथ चलना होगा", अरु अपने हाथों से उसकी आंखें बंद करते हुए बोली।

अंदर आते ही उसे एक अनजानी सी अनुभूति ने घेर लिया, वह सिहर उठी।

"हैप्पी एनिवर्सरी अनु"!

उसने झटके से अपनी आंखें खोल दीं सामने ही उसका प्यार, उसका पति रिषी खड़ा मुस्करा रहा था । ड्राइंगरुम तालियों की आवाज़ से गूंज उठा ।सामने उसके मम्मी-पापा खड़े मुस्करा रहे थे।

"कैसी हो अनु?", रिषी प्यार से देखते हुए बोले ।

"आप यहां अचानक?"

"मम्मा ये आपका सरप्राइज गिफ्ट है", अरु पास आते हुए बोली।

"मैंने अक्सर अकेले में आपको पापा को याद कर उदास और रोते हुए देखा है।नानी से मैंने जिद की तो उन्होंने बताया एक छोटी सी बात पर झगड़ा कर आप दोनों अलग हो गये थे।फिर मै पापा से मिलने लखनऊ गयी। पापा भी हम दोनो को बहुत मिस करते थे पर आपके पास आने में डरते थे‌ | जब मैने उन्हें बताया कि आप भी उन्हें बहुत याद करतीं है, तब पापा ने‌ तुरंत अपना ट्रांसफर यहां करवा लिया जिससे हम साथ रह सकें।अपनी एनीवर्सरी पर ही आप दोनों अलग हुए थे, तब हमने आप दोनों को आज के दिन मिलवाने का प्लान बनाया", अरु खुशी से चहकते हुए बोली ।

रिषी और अनिला सबसे बेखबर आंसू भरी आंखों से एक दूसरे को देख रहे थे।आज उनकी बेटी ने उन्हें कितना प्यारा उपहार दिया था ।

"आई एम सॉरी", रिषी और अनिला के मुंह से एक साथ निकला ।

रिषी ने अनिला और आरुषि को अपनी बाहो में भर लिया। आज उनका परिवार पूरा हो गया था।

~डा०मंजू दीक्षित "अगुम"

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डॉ. मंजू दीक्षित "अगुम"

अपने अंदर की उथल-पुथल और मन के भावों को कागज़ पर उकेरने की एक छोटी सी कोशिश