विश्वास की शक्ति

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विश्वास क्या है?

विश्वास हमारे जीवन की उपलब्धियों का एक ऐसा स्त्रोत है,जो हमें हमारे अंदर की शक्तियों का न सिर्फ बोध कराता है बल्कि हमारे अंदर एक असीम उत्साह की उर्जा प्रवाहित कर हमें उन्नति के पथ पर अग्रसर कर हमारी आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हमारी सहायता करता है ।

विश्वास की ये डोर इतनी सुदृढ़ होतीहै कि उसी के सहारे हम सफलता के उच्च शिखर तक पहुंच जाते हैं, विश्वास के वशीभूत होकर हमारी कर्मेंद्रियां ऊर्जावान होकर हमें आगे बढ़ने को प्रेरित करती हैं । विश्वास तो हमारी आत्मा का दृढ़ संकल्प,संबल व हमारी ताकत है ।

ये हमारा विश्वास ही तो है कि एक पत्थर की मूर्ति को हम अपना आराध्य मानकर उसकी पूजा अर्चना कर उसे ईश्वर का नाम देते हैं ।अपनी समस्त इच्छाएं अपनी परेशानियां निसंकोच उसके समक्ष व्यक्त कर देते हैं,और मन में यह विश्वास कर लेते हैं कि हमारा "अमुक" काम अवश्य पूरा हो जाएगा ।यह हमारे अंत:करण का विश्वास ही तो है जो हमें पत्थर में भी शक्ति के अस्तित्व का बोध कराता है ।

हमारे मन का विश्वास, हमारा दृढ़ संकल्प हमसे बड़े से बड़ा कठिन काम भी बहुत सहजता से करवा लेता है। हमें विषम परिस्थितियों को सामना करने की असीम क्षमता प्रदान कर हमें उन्नति के पथ पर अग्रसर करता है। आस्था के साथ किया गया विश्वास ही है जो हमें निराशा के भंवर में फंसा कर हमें हतोत्साहित नहीं करता ।

हम स्वतंत्र संकल्प शक्ति के अधिकारी हैं। हमारे आचार विचार का प्रभाव हमारी संकल्प शक्ति व विश्वास पर बहुत गहरा होता है।

आत्मविश्वास की हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।अपनी शक्ति, योग्यता व क्षमता पर विश्वास करना ही आत्मविश्वास है। आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति परिस्थितियों का दास न बनकर कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेने की क्षमता रखता है ।

यह "दशरथ मांझी की आत्मशक्ति ही तो थी जिसने अकेले ही २२वर्षो के अनवरत प्रयास से पहाड़ काटकर सड़क बना दी" सभी ने उनका मजाक उड़ाया पर वो किसी भी बात पर ध्यान दिए बिना अपना काम करते रहे, यही आत्मविश्वास है।

आत्मविश्वास की कमी के कारण हम संभावनाओं के होते हुए भी जीवन में सफलता नहीं पा सकते । अपने आत्मविश्वास की शक्ति को पहचानने व बनाये रखने के लिए मन में दृढ़ संकल्प का होना भी बहुत जरूरी है - "मैं अमुक काम करके ही रहूंगा,कितनी भी परेशानियां आयें पीछे नहीं हटूंगा" मन में यह निश्चय कर लेना ही संकल्प है ।

विश्व की तमाम खोजें इसी दृढ़ निश्चय व संकल्प के सहारे ही की गईं हैं।संकल्प ज्ञान-विज्ञान है। संकल्प सर्व कार्य सिद्धि व ईश्वर से मिलने का आधार है, आत्ममंथन, आत्मज्ञान व आत्ममय होने की कुंजी है ,पूर्णता प्राप्त करने का मार्ग है। हमारे अंतर्मन का ज्ञान,हमारी ऊर्जा हमारी शक्ति का आधार है ।

हम अपने आंतरिक स्वरुप,अपने अंदर निहित शक्ति की महिमा को स्वयं ही नहीं जानते ।सच तो यह है कि हम अनचाहे, अनजाने ही अपने मन में उत्पन्न सुख-दुख को बाहर निकलने की अनुमति देते हैं पर उसके बाहर निकलते ही अज्ञानी की भांति प्रभावित हो जाते हैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते।

प्रायः हम किसी भी नये कार्य को शुरू करने में डरते हैं "पता नहीं इस काम में सफलता मिलेगी या नहीं ,अगर असफल हौ गया तो लोग क्या कहेंगे"इस तरह की बातें हमारे मन में उठती रहती हैं और हम अपनी किस्मत को दोष देते हुए किसी भी नये काम को शुरू करने में डरकर पीछे हट जाते हैं और इसका कारण है विश्वास की कमी ,अपनी शक्ति पर अविश्वास व अपनी क्षमता को न पहचान पाना।

अगर हम हर परिस्थिति में तटस्थ बने रहें तो हर परिस्थिति में सुखी व खुश रह सकते हैं हालांकि यह इतना आसान नहीं है पर हमें अपनी आत्मशक्ति को पहचानना होगा,अपने मन के विश्वास को निखारना होगा, प्रत्येक प्राणी में यह शक्ति होती है बस उसे पहचान कर निखारने की आवश्यकता है और इसी विश्वास की शक्ति के साथ हर कार्य को करने में समर्थ हो जायेंगे ।

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डॉ. मंजू दीक्षित "अगुम"

अपने अंदर की उथल-पुथल और मन के भावों को कागज़ पर उकेरने की एक छोटी सी कोशिश